Thursday, 16 October 2008

सत्यानुसरण 28

यदि पाप किये हो, कातर कंठ से उसे प्रकाश करो, शीघ्र ही सांत्वना पाओगे।
सावधान! संकीर्णता या पाप को गोपन न रखो; उत्तरोत्तर वर्द्धित होकर अतिशीघ्र तुम्हें अधःपतन के चरम में ले जायेगा।
अन्तर में जिसे गोपन करोगे वही वृद्धि पायेगा।
--: श्री श्री ठाकुर, सत्यानुसरण

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