SATYANUSARAN
Friday, 19 September 2008
सत्यानुसरण
"अर्थ, मान, यश, इत्यादि पाने की आशा में मुझे ठाकुर बनाकर भक्त मत बनो, सावधान होओ-- ठगे जाओगे; तुम्हारा ठाकुरत्व न जागने पर कोई तुम्हारा केन्द्र भी नहीं, ठाकुर भी नहीं-- धोखा देकर धोखे में पड़ोगे।"
--श्री श्री ठाकुर
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