Friday, 10 October 2008

सत्यानुसरण 19

एक की चाह करते समय दस की चाह मत कर बैठो, एक का ही जिससे चरम हो वही करो, सब कुछ पाओगे।
जीवन को जिस भाव से बलि दोगे, निश्चय उस प्रकार का जीवन लाभ करोगे।
जो कोई प्रेम के लिए जीवन दान करता है वह प्रेम का जीवन लाभ करता है।
उद्देश्य में अनुप्राणित होओ और प्रशांतचित्त से समस्त सहन करो, तभी तुम्हारा उद्देश्य सफल होगा।
--: श्री श्री ठाकुर, सत्यानुसरण

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