Saturday, 25 October 2008

सत्यानुसरण 31

धनी बनो क्षति नहीं, किंतु दीन एवं दाता बनो।
धनवान यदि अहंकारी होता है, वह दुर्दशा में अवनत होता है।
दीनताहीन अहंकारी धनी प्रायः अविश्वासी होता है, और उसके हृदय में स्वर्ग का द्वार नहीं खुलता।
अहंकारी धनी मलिनता का दास होता है, इसीलिये ज्ञान की उपेक्षा करता है।
--: श्री श्री ठाकुर, सत्यानुसरण

1 comment:

कुन्नू सिंह said...

दिपावली की शूभकामनाऎं!!


शूभ दिपावली!!


- कुन्नू सिंह