Friday, 31 October 2008

सत्यानुसरण 36

जिसका विश्वास जितना कम है वह उतना undeveloped (अविकसित) है, बुद्धि उतनी कम तीक्ष्ण है।
तुम पंडित हो सकते हो, किंतु यदि अविश्वासी होओ, तब तुम निश्चय ग्रामोफोन के रेकार्ड अथवा भाषावाही बैल की तरह हो।
जिसका विश्वास पक्का नहीं उसे अनुभूति नहीं; और जिसे अनुभूति नहीं, वह फ़िर पंडित कैसा ?
जिसकी अनुभूति जितनी है, उसका दर्शन, ज्ञान भी उतना है और ज्ञान में ही है विश्वास की दृढता।
यदि विश्वास न करो, तुम देख भी नहीं सकते, अनुभव भी नहीं कर सकते। और वैसा देखना एवं अनुभव करना विश्वास को ही पक्का कर देता है।
--: श्री श्री ठाकुर, सत्यानुसरण

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