भाव में ही है विश्वास की प्रतिष्ठा। युक्ति-तर्क विश्वास नहीं ला सकता। भाव जितना पतला, विश्वास उतना पतला, निष्ठा भी उतनी कम।
विश्वास है बुद्धि की सीमा के बाहर; विश्वास-अनुयायी बुद्धि होती है। बुद्धि में हाँ-ना है, संशय है; विश्वास में हाँ-ना नहीं, संशय भी नहीं।
--: श्री श्री ठाकुर, सत्यानुसरण
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