हँसो, किंतु विद्रुप में नहीं।
रोओ, किंतु आसक्ति में नहीं, प्यार में, प्रेम में।
बोलो, किंतु आत्मप्रशंसा या ख्याति विस्तार के लिए नहीं।
तुम्हारे चरित्र के किसी भी उदाहरण से यदि किसी का मंगल हो तो उससे उसको वंचित मत रखो।
तुम्हारा सत् स्वभाव कर्म में फूट निकले, किंतु अपनी भाषा में व्यक्त न हो, नजर रखो।
सत् में अपनी आसक्ति संलग्न करो, अज्ञात भाव से सत् बनोगे। तुम अपने भाव से सत्-चिंता में निमग्न होओ, तुम्हारे अनुयायी भाव स्वयं फूट निकलेंगे।
असत्-चिंता जिस प्रकार दृष्टि में, वाक्य में, आचरण में, व्यवहार इत्यादि में व्यक्त हो जाती है, सत्-चिंता भी उसी प्रकार व्यक्त हो जाती है।
--: श्री श्री ठाकुर, सत्यानुसरण
4 comments:
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं ई-गुरु राजीव हार्दिक स्वागत करता हूँ.
मेरी इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए. यह ब्लॉग प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
यदि कोई सहायता चाहिए तो खुलकर पूछें यहाँ सभी आपकी सहायता के लिए तैयार हैं.
शुभकामनाएं !
--'ब्लॉग्स पण्डित'
http://blogspundit.blogspot.com/
आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ 'ब्लॉग्स पण्डित' पर.
सुंदर प्रस्तुति
बधाई स्वीकारें /समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें
acha pryas hai, blog parivar aur mere blog par bhi swagat.(Pls remove word verification)
Post a Comment