Saturday, 11 October 2008

सत्यानुसरण 21

निष्ठा रखो, किंतु जिद्दी मत बनो।
साधु न सजो, साधु होने की चेष्टा करो।
किसी महापुरुष के साथ तुम अपनी तुलना न करो; किंतु सर्वदा उनका अनुसरण करो।
यदि प्रेम रहे तब पराये को "अपना" कहो, किंतु स्वार्थ न रखो।
प्रेम की बात बोलने से पहले प्रेम करो।
--: श्री श्री ठाकुर, सत्यानुसरण

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

किसी का अनुसरण नही करना चाहिए बल्कि अपनी आत्मा की आवाज को सुन कर चलना चाहिए। अनुशरण आप तभी कर सकते है जब परिस्थिति एक सी हो।
baakI saBI baato se sahamat |

Rajeev Ranjan said...

aapki is blog mein abhiruchi mere liye khushi ki baat hai. satyanusaran ki panktiyan agar aapke jeevan mein kuchh bhi positive laa paayaa to main apna prayaas saarthak samjhunga.
--Rajeev